Click here for Tamil Click here for Latin Script अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्व-विनोदिनि नन्दनुते गिरिवर विन्ध्य-शिरोஉधि-निवासिनि विष्णु-विलासिनि जिष्णुनुते । भगवति हे शितिकण्ठ-कुटुम्बिणि भूरिकुटुम्बिणि भूरिकृते जय जय हे महिषासुर-मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 1 ॥ सुरवर-हर्षिणि दुर्धर-धर्षिणि दुर्मुख-मर्षिणि हर्षरते त्रिभुवन-पोषिणि शङ्कर-तोषिणि कल्मष-मोषिणि घोषरते । दनुज-निरोषिणि दितिसुत-रोषिणि दुर्मद-शोषिणि सिन्धुसुते जय जय हे महिषासुर-मर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते ॥ 2 ॥ अयि […]