Click here for Latin Script Click here for Tamil रचन: शन्कराचार्य भज गॊविन्दं भज गॊविन्दं गॊविन्दं भज मूढमतॆ । सम्प्राप्तॆ सन्निहितॆ कालॆ नहि नहि रक्षति डुक्रिङ्करणॆ ॥ 1 ॥ मूढ जहीहि धनागमतृष्णां कुरु सद्बुद्धिम् मनसि वितृष्णाम् । यल्लभसॆ निज कर्मॊपात्तं वित्तं तॆन विनॊदय चित्तम् ॥ 2 ॥ नारी स्तनभर नाभीदॆशं दृष्ट्वा मा गा मॊहावॆशम् । ऎतन्मांस […]